अस्वीकरण: कीलाडी उत्खनन रिपोर्ट पर मीडिया रिपोर्टों के संबंध में स्पष्टीकरण

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कीलाडी उत्खनन पर मीडिया के एक वर्ग द्वारा हाल ही में प्रकाशित समाचार लेख के संदर्भ में, निम्नलिखित को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से प्रतिक्रिया और अस्वीकरण के रूप में माना जाए और कृपया इसे संबंधित मीडिया प्रकाशनों में तुरंत प्रकाशित किया जाए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण महानिदेशक, एएसआई के तत्वावधान में उत्खनन किए गए स्थलों की रिपोर्ट नियमित रूप से प्रकाशित करता है। इस बात पर बहुत ज़ोर दिया जाता है, क्योंकि हर उत्खनन कार्य पर अधिक समय, ऊर्जा और धन खर्च होता है अन्‍यथा उत्‍खन्‍न कार्य का मूल उद्देश्‍य अधूरा रह जाएगा।
एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत, उत्खननकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, उन्हें विभिन्न विषय विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है, जिनसे प्रकाशन के लिए रिपोर्ट की जांच करने का अनुरोध किया जाता है। विषय विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए विभिन्न परिवर्तन, उत्खननकर्ताओं द्वारा किए जाते हैं और अंततः प्रकाशन के लिए पुनः प्रस्तुत किए जाते हैं। फिर इन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एमएएसआई) के संस्मरण के रूप में प्रकाशित किया जाता है।
कीलाडी रिपोर्ट के मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसमें रिपोर्ट को जांच के लिए विशेषज्ञों के पास भेजा गया था। तदनुसार, कीलाडी के उत्खननकर्ता को उनके द्वारा प्रस्तुत मसौदा रिपोर्ट में आवश्यक सुधार करने के लिए विशेषज्ञों के सुझावों से अवगत कराया गया है, लेकिन उन्होंने आज तक सुधार नहीं किया।
मीडिया के एक हिस्से में फैलाई जा रही कहानी भ्रामक, असत्य है और इसका पूरी तरह से तथा जोरदार तरीके से खंडन किया जा रहा है। महानिदेशक और एएसआई के अधिकारी खुदाई की गई जगह के महत्व को समझते हैं, लेकिन प्रकाशन के लिए भेजे जाने से पहले सभी रिपोर्टों की उचित जांच, संपादन, प्रूफ रीडिंग और डिजाइनिंग की आवश्यकता होती है। यह कहना कि एएसआई कीलाडी रिपोर्ट के प्रकाशन में कोई दिलचस्पी नहीं है, यह एक कल्पना है जिसका उद्देश्य जानबूझकर विभाग की छवि खराब करना है।
निदेशक (उत्खनन एवं अन्वेषण) का पत्र एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे निदेशक (ईई) नियमित रूप से उत्खननकर्ताओं को रिपोर्ट में परिवर्तन करने या अन्यथा करने के लिए लिखते हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मीडिया से पुनः अनुरोध करता है कि वह किसी विषय की बारीकियों को समझे और पुरातत्व जैसे तकनीकी विषय के हर पहलू की जांच करे तथा प्रकाशन से पहले समग्र समझ विकसित करे। यह भी अपेक्षा की जाती है कि विद्वान मीडिया ऐसे तकनीकी मामलों से जुड़ी उचित प्रक्रियाओं को समझने के लिए भी कुछ अतिरिक्त चिंतन करे।
इस संबंध में किसी भी प्रश्न के लिए कृपया सुश्री नंदिनी भट्टाचार्य साहू, संयुक्त महानिदेशक, एएसआई (9324608991) से संपर्क करें।
*****

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *