केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई कॉन्क्लेव में समुद्री स्टार्टअप्स की अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लाल किला की घोषणा के बाद ही गहरे समुद्र क्षेत्र पर गंभीरता से ध्यान दिया गया: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

स्टार्टअप कॉन्क्लेव का लक्ष्य पूरे भारत में प्रतिभाओं की तलाश करना है; 49 प्रतिशत प्रतिभाएं अब टियर 2 और 3 शहरों से हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री ने कहा, स्टार्टअप्स में सफलता सिर्फ विज्ञान की डिग्री से नहीं, बल्कि योग्यता और जुनून से मिलती है

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करते हुए तटीय राज्यों में समुद्री स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अपेक्षाकृत अप्रयुक्त क्षेत्र है जिसमें भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन में योगदान करने की महत्वपूर्ण क्षमता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विकसित भारत बनने की दिशा में भारत की यात्रा काफी हद तक कम खोजे गए क्षेत्रों का दोहन करने पर निर्भर करेगी। मुंबई स्टार्टअप कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मुंबई, अपने रणनीतिक तटीय स्थान के साथ, समुद्री अर्थव्यवस्था की अपार संभावनाओं को उजागर करने के लिए एक आदर्श स्थान है – विशेषरूप से इसलिए क्योंकि भारत के पास दुनिया की सबसे लंबी तटरेखा है, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी है और कई प्रमुख राज्यों द्वारा साझा की जाती है।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाल किला से गहरे समुद्र मिशन की घोषणा के बाद ही देश ने इस क्षेत्र को गंभीरता और रणनीतिक इरादे से अपनाना शुरू किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित करने के पीछे व्यापक दृष्टिकोण के बारे में बोलते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश के हर कोने से उभरती प्रतिभाओं और उद्यमशीलता के विचारों से जुड़ना है। उन्होंने कहा कि यह एक उत्साहजनक संकेत है कि वर्तमान में 49 प्रतिशत स्टार्टअप अब टियर 2 और टियर 3 शहरों से उभर रहे हैं।
इस धारणा को खारिज करते हुए कि स्टार्टअप की सफलता के लिए विज्ञान की औपचारिक डिग्री एक शर्त है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि जो चीज सबसे अधिक मायने रखती है, वह है सही योग्यता और जुनून। डॉ. जितेंद्र सिंह ने नीतिगत इरादे को राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के साथ मिलाते हुए एक सम्मोहक संबोधन में, “विकसित भारत की ओर – सीएसआईआर प्रौद्योगिकियां राष्ट्र को सशक्त बना रही हैं” शीर्षक से एक सीएसआईआर संग्रह जारी किया, जिसमें हाल के वर्षों में उद्योग को हस्तांतरित 400 से अधिक प्रौद्योगिकियों और 125 से अधिक स्टार्ट-अप को प्रदर्शित किया गया है। “यह संग्रह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैज्ञानिक विकास कहानी को दर्शाता है, जहां विज्ञान, स्टार्ट-अप और सामाजिक विकास एक साथ चलते हैं।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैश्विक नवाचार परिदृश्य में भारत की जबरदस्त वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 81वें स्थान से 40वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2014 में केवल 350 स्टार्ट-अप से बढ़कर अब हमारे पास 1.25 लाख से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप और 110 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।” उन्होंने इस वृद्धि का श्रेय सक्रिय नीति सुधारों, व्यापार करने में सुगमता और बढ़ते वैज्ञानिक सहयोग को दिया।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि मौजूदा सरकार ने पुराने नियमों को समाप्त कर दिया है, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया है और एक ऐसा स्टार्टअप वातावरण बनाया है जो समावेशी, आकांक्षी और प्रभाव-संचालित है। उन्होंने देश भर में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को डीप-टेक उपक्रमों, ट्रांसलेशनल रिसर्च और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को श्रेय दिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई में सीएसआईआर नवाचार भवन में हाल ही में विकसित अत्याधुनिक केंद्र पर भी प्रकाश डाला, जिसे स्टार्ट-अप, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और उद्योग के हितधारकों के लिए इनक्यूबेशन तथा व्यावसायिक स्थान प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। यह केंद्र उच्च-स्तरीय वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे, नियामक सहायता और विशेषज्ञ सहयोग के अवसरों तक पहुँच प्रदान करती है, जो प्रभावी रूप से अनुसंधान और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग के बीच की दूरी को समाप्त करती है। उन्होंने शार्क टैंक जैसे निवेश प्लेटफार्मों को विज्ञान कार्यक्रमों में एकीकृत करने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, युवा नवोन्मेषकों को संभावित निवेशकों से जोड़ने और प्रयोगशाला से बाज़ार में बदलाव को तेज़ करने में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने समावेशी विकास के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए निधि, टीआईडीई और टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) जैसी पहलों के माध्यम से प्रदान किए गए समर्थन को दोहराया, जो एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता को मेंटरशिप और बुनियादी ढाँचे के साथ जोड़ते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा से लेकर किफायती स्वास्थ्य सेवा और आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई) संचालित समाधानों तक के क्षेत्रों में अभूतपूर्व नवाचारों को प्रदर्शित किया गया। स्टार्ट-अप संस्थापकों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए, प्रतिभागियों ने वैज्ञानिक प्रगति को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर बल दिया कि स्टार्ट-अप आंदोलन अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “महिलाओं और वंचित समुदायों सहित टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवा नवोन्मेषक अब भारत के तकनीकी परिवर्तन में सबसे आगे हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की असली भावना है।”
यह सम्मेलन कल भी जारी रहेगा, जिसमें 100 से अधिक सीएसआईआर वैज्ञानिक, शोधकर्ता और प्रौद्योगिकी डेवलपर्स के अलावा उद्यमियों, निवेशकों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं का एक बड़ा वर्ग शामिल हुआ है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहयोग को प्रोत्साहन देना और सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण को तेज़ करना है।
उद्घाटन दिवस पर कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया, जिन्होंने सम्मेलन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक प्रो. सुनील कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद सीएसआईआर-एनसीएल के निदेशक डॉ. आशीष लेले और सीएसआईआर-नीरी के निदेशक डॉ. एस. वेंकट मोहन ने विशेष भाषण दिया।
औपचारिक उद्घाटन से पहले, शार्क टैंक-शैली के सत्र ने उल्लेखनीय रूप से, स्टार्ट-अप को निवेशकों के सामने अपने विचार रखने में सक्षम बनाया – एक पहल जिसका उद्देश्य विज्ञान और उद्यमिता के बीच की खाई को पाटना है।
भारत जब वर्ष 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है, सीएसआईआर स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव वास्तव में विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र को आकार देने में विज्ञान और नवाचार की भूमिका को उत्प्रेरित करने के लिए एक समय पर मंच के रूप में कार्य करता है।
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