सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की गई और मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, ई-कोर्ट परियोजना के चरण III के तहत, उपयोगकर्ताओं के सहज अनुभव के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने और एक “स्मार्ट” प्रणाली के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है जिससे रजिस्ट्रियों में न्यूनतम डेटा प्रविष्टि और फाइलों की जांच आवश्यकता होगी। एक स्मार्ट प्रणाली बनाने के लिए, ई-कोर्ट सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इसके सबसेट मशीन लर्निंग (एमएल), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) आदि जैसी आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। एआई का उपयोग कुशल शेड्यूलिंग, भविष्यवाणी एवं पूर्वानुमान, प्रशासनिक दक्षता में सुधार, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी), स्वचालित फाइलिंग, केस सूचना प्रणाली को उन्नत बनाने, चैटबॉट एवं अनुवाद के माध्यम से वादियों के साथ संवाद करने जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है।
निजता के अधिकार को संरक्षित करने के उद्देश्य से डेटा की सुरक्षा हेतु सुरक्षित कनेक्टिविटी एवं प्रमाणीकरण तंत्र के बारे में सुझाव/सिफारिश देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के ई-कमेटी के अध्यक्ष द्वारा डोमेन विशेषज्ञों से लैस तकनीकी कार्य समूह के सदस्यों की सहायता से विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह न्यायाधीशों की एक उप-समिति का गठन किया गया है। इस उप-समिति को डेटा सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए उपाय सुझाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत तैयार किए गए डिजिटल बुनियादी ढांचे, नेटवर्क और सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े समाधानों का पूरी गंभीरता से मूल्यांकन व जांच करने का आदेश दिया गया है। सरकार ने ई-कोर्ट के चरण III के कार्यान्वयन हेतु 7210 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है, जिसमें 24 परियोजना घटक शामिल हैं। इन 24 घटकों में से एक घटक फ्यूचर टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट (एआई, ब्लॉक चेन, आदि) है। ई-कोर्ट के चरण III की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, इस घटक के लिए 2027 तक देश भर के उच्च न्यायालयों के लिए 53.57 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्यमंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने 6 फरवरी को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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