दुःख के साथ मन की बात – शोवा सिंह (लेखिका )

हाल ही में पटना में ऐसी घटना हुई जिससे सुनकर दिल सहम सा गया। मैंने शाम 5 बजे के करीब सिविल कोर्ट में हुई घटना के बारे में सुनी थी। पर 7 बजे के करीब उस घटना को हमारे पति द्वारा मोबाइल फ़ोन पर आँखों देखा घटना दिखाए जाने के बाद हमें तो अजीब- सा लगने लगा। हमारे मन बहुत सारी चिंताए होने लगी और दुःख का तो कोई सीमा ही नहीं था। क्योंकि वो जो इंसान थे, पेशे से वकील थे, विकलांग भी थे, और सबसे बड़ी बात की वो अपने परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे। तब हम चिंता करते हुए सोचने लगे की हमारे बिहार में क्यों ऐसी घटनाएं होती है। यहाँ के नेता लोग जिनके अंदर में हमारे बिहार का देख भाल की जिम्मेबारी है। वो कैसे इस तरह का काम करते है। क्या उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ में नहीं आती है। आज इस परिवार के साथ यह घटना हुई है उसका दुःख और पीड़ा का अंदाजा भी नहीं और वो व्यक्ति जिनकी घटना स्थल पर मृत्यु हो जाना सोचिये उस समय उन्हें कैसे लगी होगी। उनकी आत्मा कैसे छटपटा कर निकली होगी। उनके बारे में सोच कर भी रूह काँप जाती है। और तब ऐसा लगने लगता है कि कोई भी इंसान चाहे वो कोई भी हो जब जिम्मेमदारी समझ ही नहीं आती तो जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। मैं इस कहानी को लिख कर बस यह बताना चाहती हूँ कि जिम्मेदारी देश कि हो या परिवार की जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी होती है। इसलिए इससे अनदेखा नहीं न करे। हमारी इस कहानी को जरा गहराई से सोचियेगा बस हमें इतना ही कहना है।   

 

 

 

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