भारत ने ब्राजील में ब्रिक्स देशों के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में समावेशी ऊर्जा प्रबंधन का आह्वान किया

केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने भारत की स्वच्छ ऊर्जा उपलब्धियों का जिक्र किया; ब्रिक्स देशों को भारत में 2026 में होने वाले ऊर्जा सम्मेलन में आमंत्रित किया

ऊर्जा मंत्रियों ने मजबूत साझेदारी का आह्वान किया, खुले, निष्पक्ष और बिना भेदभाव के अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों का समर्थन किया तथा ऊर्जा व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया

केंद्रीय बिजली और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने 19 मई 2025 को ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रासीलिया में आयोजित ब्रिक्स देशों के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
केंद्रीय मंत्री ने ऊर्जा सुरक्षा को वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया तथा आर्थिक स्थिरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संसाधनों तक समान पहुंच को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने टिकाऊ और समावेशी ऊर्जा भविष्य के निर्माण के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की और ‘अधिक समावेशी और टिकाऊ प्रबंधन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को मजबूत करना’ विषय के तहत ब्राजील के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने वैश्विक विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में ऊर्जा सुरक्षा, पहुंच और सामर्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
श्री मनोहर लाल ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की तीव्र प्रगति को दर्शाते हुए नीचे दी गई कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला:
  • पिछले दशक में विद्युत क्षमता में 90 प्रतिशत की वृद्धि, 2025 तक 475 गीगावाट तक पहुंचना तथा 2032 तक 900 गीगावाट तक पहुंचने का लक्ष्य।
  • सौर और पवन ऊर्जा का विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना
  • 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण की उपलब्धि हासिल करना, जैव ईंधन को अपनाना और उत्सर्जन में कमी लाना।
  • स्मार्ट ग्रिड, उन्नत मीटरिंग अवसंरचना तथा ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर सहित विस्तारित ट्रांसमिशन नेटवर्क में निवेश करना।
  • हरित हाइड्रोजन और परमाणु ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना, जिसमें 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता का लक्ष्य शामिल है।
  • घरेलू कार्बन क्रेडिट बाजार का शुभारम्भ, वैश्विक सहयोग को आमंत्रित करना।
केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने जैव ईंधन क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने में वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की भूमिका पर भी जोर दिया और ऊर्जा संरक्षण सतत भवन संहिता, छत सौर पहल और कुशल उपकरण मानकों जैसे अभिनव कार्यक्रमों के जरिए ऊर्जा दक्षता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
श्री मनोहर लाल ने वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में जीवाश्म ईंधन की महत्वपूर्ण भूमिका को विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए रेखांकित किया। उन्होंने कोयला गैसीकरण, कार्बन कैप्चर एवं भंडारण, और हरित रासायनिक नवाचारों जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से उनके स्वच्छ और कुशल उपयोग को बढ़ावा देने में अधिक सहयोग का आग्रह किया।
अंत में, श्री मनोहर लाल ने ब्रिक्स देशों को भारत में 2026 में होने वाले अगले ब्रिक्स ऊर्जा सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और वैश्विक दक्षिण के लिए ऊर्जा एजेंडे का नेतृत्व करने के लिए देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
ब्रिक्स देशों के ऊर्जा मंत्रियों के संयुक्त रूप से अपनाए गए ऊर्जा मंत्रिस्तरीय विज्ञप्ति के कुछ प्रमुख परिणाम:
ब्रिक्स ऊर्जा मंत्रियों ने ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 7 (एसडीजी 7) को आगे बढ़ाने में अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें सबके लिए बिजली की उपलब्धता, स्वच्छ खाना पकाने और ऊर्जा संकट से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के जवाब में न्यायसंगत, समावेशी और संतुलित ऊर्जा संक्रमण की जरूरत पर जोर दिया।
विशेष रूप से विकासशील देशों में जीवाश्म ईंधन की निरंतर भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने प्रौद्योगिकीय तटस्थता और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांत से निर्देशित एसडीजी 7 और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के महत्व पर बल दिया।
ऊर्जा मंत्रियों ने मजबूत साझेदारी का आह्वान किया। मंत्रिय़ों ने खुलेनिष्पक्ष और भेदभाव रहित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों का समर्थन किया तथा ऊर्जा व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने ब्रिक्स ऊर्जा अनुसंधान सहयोग मंच की मौलिक भूमिका को मान्यता दी तथा गहन सहयोग के लिए अद्यतन ब्रिक्स ऊर्जा सहयोग रोडमैप (2025-2030) का स्वागत किया।
प्रत्येक देश के अपने ऊर्जा संक्रमण पथ और गति को निर्धारित करने के अधिकार की पुष्टि करते हुए, मंत्रियों ने सभी ऊर्जा स्रोतों के कुशल उपयोग की वकालत की और विकसित देशों से विकासशील देशों को रियायती और कम लागत वाले वित्तपोषण में वृद्धि का आह्वान किया। उन्होंने विशेष रूप से स्थानीय मुद्रा वित्तपोषण के माध्यम से टिकाऊ ऊर्जा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
मंत्रियों ने कार्बन तीव्रता, ऊर्जा वर्गीकरण, तथा वर्गीकरण और प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता के आकलन के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और सुसंगत दिशानिर्देश अपनाने की वकालत की।
सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने बाजार स्थिरता, सुदृढ़ बुनियादी ढांचे, विविध ऊर्जा स्रोतों और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने 2030 तक ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने के लक्ष्य की पुष्टि की और ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने पर जोर दिया। अंत में, उन्होंने 2026 में भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों की वैश्विक ऊर्जा भूमिका को बढ़ाने और साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
******

Check Also

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और सीएसआईआर-एनआईओ ने समुद्री और संबद्ध विज्ञान में उभरते अनुसंधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली ने सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *