लोक अदालतों का आयोजन विधिक सेवा संस्थानों द्वारा ऐसे अंतरालों पर किया जाता है, जैसा कि वे उचित समझते हैं, ताकि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम किया जा सके और विवादों को मुकदमेबाजी से पहले के चरण में ही निपटाया जा सके। लोक अदालतें अदालतों पर बोझ कम करने के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र के प्रभावी तरीकों में से एक हैं, जिन्हें जनता से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। लोक अदालतें तीन प्रकार की होती हैं, अर्थात् राज्य लोक अदालतें, राष्ट्रीय लोक अदालतें और स्थायी लोक अदालतें।
- राज्य लोक अदालतों का आयोजन विधिक सेवा प्राधिकरणों/समितियों द्वारा स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार मुकदमे-पूर्व और मुकदमे-पश्चात दोनों प्रकार के मामलों के निपटारे के लिए किया जाता है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तालुक न्यायालयों तक सभी न्यायालयों में मामलों (मुकदमेबाजी से पहले और मुकदमेबाजी के बाद) के निपटारे के लिए तिमाही आधार पर एक ही दिन राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित की जाती हैं। हर साल, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) राष्ट्रीय लोक अदालतों के आयोजन के लिए कैलेंडर जारी करता है। वर्ष 2025 के दौरान, राष्ट्रीय लोक अदालतें 8 मार्च , 10 मई , 13 सितंबर और 13 दिसंबर को आयोजित की जानी हैं।
- स्थायी लोक अदालतें अधिकांश जिलों में स्थापित स्थायी प्रतिष्ठान हैं, जो सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए अनिवार्य पूर्व-मुकदमेबाजी तंत्र प्रदान करते हैं।
पिछले दो वर्षों और चालू वर्ष के दौरान लोक अदालतों द्वारा निपटाए गए मामलों की संख्या का विवरण इस प्रकार है:
- राष्ट्रीय लोक अदालत
वर्ष | कुल निपटाए गए मामले
(मुकदमे से पूर्व और लंबित दोनों मामले) |
2022 | 4,19,26,010 |
2023 | 8,53,42,217 |
2024 | 10,45,26,119 |
- राज्य लोक अदालत
वर्ष | कुल निपटाए गए मामले
(मुकदमे से पूर्व और लंबित दोनों मामले) |
2022-23 | 8,51,309 |
2023-24 | 12,07,103 |
2024-25
(24 नवम्बर तक) |
10,88,021
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- स्थायी लोक अदालत (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएँ)
वर्ष | कुल निपटाए गए मामले |
2022-23 | 1,71,138 |
2023-24 | 2,32,763 |
2024-25
(24 नवम्बर तक) |
1,10,643 |
यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्य मंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दिया है।
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