विदेशी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रदाताओं पर निर्भरता को कम करेगा

     भारत में 19 संचार उपग्रहों का एक बेड़ा कार्यरत है और ये उपग्रह दूरसंचार, ब्रॉडबैंड एवं प्रसारण सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक एवं रणनीतिक संचार में सहायता प्रदान करते हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में किए गए सुधारों ने उपग्रह आधारित सेवाएं प्रदान करने हेतु उपग्रह प्रणालियों के निर्माण/पट्टे, स्वामित्व और संचालन में गैर-सरकारी संस्थाओं की बड़ी भागीदारी को संभव बनाया है। कुल 10 से अधिक उपग्रह ऑपरेटरों ने रुचि दिखाई है और भारत में उपग्रह क्षमता प्रदान करने के लिए प्राधिकरण हेतु आवेदन किया है। बाज़ार में अधिक कंपनियों की उपस्थिति से, पूरे देश को उन्नत उपग्रह क्षमता और प्रतिस्पर्धी मूल्य संबंधी लाभ मिलेगा। सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से संबंधित जमीनी बुनियादी ढांचा (एंटीना, टर्मिनल) उपग्रह संचार सेवाओं का हिस्सा हैं और उनकी तैनाती लाइसेंस प्राप्त सैटकॉम/दूरसंचार सेवा प्रदाता करेंगे।
सरकार ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए अंतरिक्ष से जुड़ी परिसंपत्तियां स्थापित करने के लिए भारतीय संस्थाओं को प्रोत्साहित और सक्षम कर रही है। अंतरिक्ष विभाग के तहत एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (सीपीएसई) एनएसआईएल जहां उपयोगकर्ता की मांग के आधार पर नए उपग्रहों को तैनात करने की योजना बना रहा हैवहीं इसरो/डीओएस ने एक भारतीय निजी ऑपरेटर को भी एक नए ब्रॉडबैंड उपग्रह को तैनात करने के लिए आवश्यक कक्षा स्पेक्ट्रम समर्थन से लैस कर सक्षम किया है। इन-स्पेस को किसी भारतीय ऑपरेटर की ओर से स्टारलिंक के समान एनजीएसओ उपग्रह समूह की स्थापना एवं संचालन हेतु कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।
इन-स्पेस के प्राधिकरण के बाद ही भारत में ब्रॉडबैंड उपग्रह नेटवर्क के लिए सभी विदेशी उपग्रहों की क्षमता का प्रावधान किया जा सकता है। भारत को कवर करने वाले अंतरिक्ष में ब्रॉडबैंड उपग्रह नेटवर्क का स्वामित्व और संचालन करने वाली विदेशी संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं समन्वय द्वारा शासित होती हैं। भारतीय क्षेत्र में सेवाओं के लिए ऐसे उपग्रहों का उपयोग भारतीय अंतरिक्ष नीति, दूरसंचार अधिनियम और अन्य विनियमन व दिशानिर्देशों द्वारा प्रशासित होता है।
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग, अंतरिक्ष विभाग तथा परमाणु ऊर्जा विभाग राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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