व्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी), देहरादून में भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) के एक नए ‘प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र (पीएमडीके)’ का उद्घाटन किया। श्री अग्रवाल ने पीएमडीके की विभिन्न इकाइयों जैसे प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स लैब, स्टोर रूम, ऑडियोलॉजी रूम आदि का भी निरीक्षण किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में सचिव ने संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न सेवाओं की सराहना की और दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए इन सेवाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सूचित किया कि अब तक ऐसे 65 दिव्याशा केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं तथा भविष्य का लक्ष्य इसे 300 तक ले जाने का है।
श्री अग्रवाल ने एमबीए (ब्रेल उपकरण निर्माण) कार्यशाला की सभी मशीनों और उपकरणों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने इन्हें और बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया तथा कुछ बंद पड़ी मशीनों को एमएसटीसी लिमिटेड के माध्यम से यथाशीघ्र बेचने का निर्देश दिया। वयस्क दृष्टिहीन प्रशिक्षण केंद्र (टीसीएबी) और विशेष शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग (डीएसईआर) की नई इमारत का भी निरीक्षण किया गया तथा परियोजना में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।
इस अवसर पर दिव्याशा केंद्र में सचिव की उपस्थिति में दिव्यांगजनों को इलेक्ट्रिक ट्राइसाइकिल प्रदान की गई। श्री अग्रवाल ने विभिन्न लाभार्थियों से बात की और उन्हें इन सहायक उपकरणों की मदद से अपनी आजीविका कमाने के लिए प्रेरित भी किया।
तत्पश्चात, श्री अग्रवाल ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के पुस्तक प्रचार केंद्र का दौरा किया और दिव्यांगजनों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की जाँच की। उन्होंने संस्थान के मॉडल स्कूल के बच्चों द्वारा तैयार की जा रही स्व-रचित कहानियों के ऑडियो रूपांतरण पहल की सराहना की। सचिव ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर पुस्तकों के ऑडियो रूपांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया।
आयोजन के दौरान, एनआईईपीवीडी के निदेशक ई. एर. मनीष वर्मा ने सचिव को संस्थान द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया। सचिव ने इन सेवाओं की प्रभावशीलता पर भी चर्चा की और इन्हें और बेहतर बनाने के सुझाव दिये।
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