हरियाणा, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग का अनुदान जारी किया गया।

ग्रामीण स्थानीय निकायों को हरियाणा में 194.87 करोड़ रुपये; त्रिपुरा में 78.5 करोड़ रुपये मिले।

मिजोरम को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 15वें वित्त आयोग अनुदान की दूसरी किस्त में 35.5 करोड़ रुपये मिले।

केंद्र सरकार ने हरियाणा , त्रिपुरा और मिजोरम के ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग का अनुदान जारी किया है।

हरियाणा के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई)/आरएलबी को पहली किस्त के रूप में 194.867 करोड़ रुपये का अबद्ध अनुदान दिया गया है । इस निधि का वितरण राज्य की 18 पात्र जिला पंचायतों, 139 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 5911 पात्र ग्राम पंचायतों को किया गया है, जिन्होंने अनुदान जारी करने के लिए अनिवार्य शर्तें पूरी की हैं।

त्रिपुरा में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, 31.40 करोड़ रुपये के अबद्ध अनुदान की पहली किस्त और 47.10 करोड़ रुपये की बद्ध अनुदान की पहली किस्त जारी की गई है। ये धनराशि सभी 1260 ग्रामीण स्थानीय निकायों पारंपरिक स्थानीय निकायों जैसे 1 टीटीएएडीसी (त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद), मुख्यालय; 40 ब्लॉक सलाहकार समितियों; और 587 ग्राम समितियों सहित के लिए है।

15वें वित्त आयोग ने मिजोरम के पीआरआई/आरएलबी के लिए धनराशि जारी की है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के अबद्ध अनुदान की दूसरी किस्त है, जिसकी राशि 14.20 करोड़ रुपये है और वित्तीय वर्ष 2022-23 के बद्ध हुए अनुदान की दूसरी किस्त 21.30 करोड़ रुपये है। ये धनराशि स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों सहित सभी 834 ग्राम परिषदों के लिए है।

बद्ध और अबद्ध अनुदान

संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित उनतीस (29) विषयों के अंतर्गत, वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा स्थल-विशिष्ट की आवश्यकताओं के लिए अबद्ध अनुदान का उपयोग किया जाता है। जबकि बद्ध अनुदान का उपयोग (ए) स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, और इसमें घरेलू अपशिष्ट का प्रबंधन और उपचार, और विशेष रूप से मानव मल और मल प्रबंधन और (बी) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण शामिल होना चाहिए।

पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान का उद्देश्य पीआरआई/आरएलबी को सशक्त बनाकर ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाना है। ये निधि पीआरआई/आरएलबी को अधिक सक्षम, जवाबदेह और आत्मनिर्भर बनने में सहायता करती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा मिलता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के अनुरूप, यह पहल समावेशी विकास और सहभागी लोकतंत्र का समर्थन करती है, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग के अनुदान को जारी करने की सिफारिश करती है, इसके पश्चात वित्त मंत्रालय द्वारा इसे जारी किया जाता है। आवंटित अनुदान की सिफारिश की जाती है और वित्तीय वर्ष में इसे दो किस्तों में जारी किया जाता है।

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