वित्तमंत्री ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में मुख्य महाप्रबंधक के पदों के सृजन और वृद्धि को मंजूरी दी।

इस कदम से बैंकों को बेहतर नियंत्रण, पर्यवेक्षण, बेहतर परिसंपत्ति प्रबंधन और परिचालन दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी

वित्त मंत्री ने पांच और राष्ट्रीयकृत बैंकों बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक में बोर्ड स्तर से नीचे मुख्य महाप्रबंधक पद (सीजीएम) के सृजन को मंजूरी दी है। इससे पहले ग्यारह राष्ट्रीयकृत बैंकों में से छह में सीजीएम पद उपलब्ध थे। उक्त पद का सृजन करते समय वित्त मंत्री ने उन बैंकों में सीजीएम की वर्त्तमान संख्या में वृद्धि को भी मंजूरी दी है, जिनमें पहले से ही सीजीएम स्तर के पद हैं। इस कदम से बैंकों के प्रशासनिक ढांचे और दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

सीजीएम पद राष्ट्रीयकृत बैंकों में महाप्रबंधक (जीएम) और कार्यकारी निदेशक (बोर्ड स्तर का पद) के बीच एक प्रशासनिक और कार्यात्मक परत के रूप में कार्य करता है। सीजीएम पदों की वृद्धि से बैंकों की डिजिटलीकरण, साइबर सुरक्षा, फिन-टेक, जोखिम, अनुपालन, ग्रामीण बैंकिंग, वित्तीय समावेशन आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यो और खुदरा ऋण, कृषि ऋण, एमएसएमई ऋण आदि जैसे उप-डोमेन की बेहतर निगरानी करने की क्षमता बढ़ेगी। इससे अधिक लक्षित रणनीतियां बनेंगी और समग्र प्रदर्शन में सुधार होगा। सीजीएम की संख्या में वृद्धि से बैंकों को बेहतर नियंत्रण और पर्यवेक्षण करने में मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप परिसंपत्ति प्रबंधन और परिचालन दक्षता में सुधार होगा। 31.03.2023 तक बैंकों के व्यवसाय मिश्रण के आधार पर पदों की संख्या को संशोधित किया गया है इस सृजन और वृद्धि से न केवल सीजीएम के पद पर पदोन्नत होने वाले जीएम को लाभ होगा, बल्कि जीएम स्तर के पदों से नीचे के तत्काल निचले स्तर के अधिकारियों यानी उप महाप्रबंधक (डीजीएम) और सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) को भी लाभ होगा। क्योंकि 1 सीजीएम स्तर के पद की वृद्धि के साथ, 4 जीएम पदों, 12 डीजीएम पदों और 36 एजीएम पदों में वृद्धि होगी।

संशोधन के साथ सभी 11 राष्ट्रीयकृत बैंकों में सीजीएम पदों की संख्या 80 से बढ़ाकर 144 कर दी गई है। तदनुसार जीएम पदों की संख्या 440 से 576, डीजीएम पदों की संख्या 1320 से 1728 और एजीएम पदों की संख्या 3960 से 5184 कर दी गई है। वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर पद वृद्धि से निगरानी बढ़ेगी और इसके परिणामस्वरूप जोखिमों की बेहतर पहचान और शमन होगा, खासकर जटिल वित्तीय वातावरण में। यह महत्वपूर्ण कदम विभिन्न बैंकों से प्राप्त हो रही मांगों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। साथ ही बैंकों के व्यवसाय, कार्यक्षेत्र, डोमेन और शाखा विस्तार में पर्याप्त वृद्धि के कारण वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों के एक समर्पित पिरामिड की आवश्यकता है।

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