प्रशांत किशोर को 6 जनवरी के सुबह 4 बजे किया गया गिरफ्तार। इसके पीछे प्रशासन और प्रशासक की क्या थी रणनीति आइये जानते है।

प्रशांत किशोर गिरफ्तार : 6 जनवरी के सुबह 3 से 4 बजे तक अपने प्राप्त आदेश के तहत गाँधी मैदान में कार्रवाई करते हुए प्रशांत किशोर को गिरफ्तार कर लिया। इस बीज कार्यकर्त्ता और छात्रों ने खूब विरोध किया। बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करवाने से लेकर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से छात्र प्रतिनिधियों से मिल लेने के बात को लेकर आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर और छात्रों आदि को 6 जनवरी के सुबह 4 बजे के आस पास गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि पटना पुलिस पहले मेडिकल चेकअप के लिए पटना एम्स लेकर गयी। 

पुलिस के अनुसार अप्रतिबंधित क्षेत्र में आमरण अनशन के कारण FIR हुआ था जिसके बाद से पटना पुलिस ने कई बार प्रशांत किशोर से मिलकर अपना स्थान बदल कर गर्दनीबाग करने को कहा लेकिन प्रशांत किशोर ने साफ़ तौर पर कहा कि शांतिपूर्वक बैठने पर क्या कोई आर्डर है कि वह कही नहीं बैठ सकते जबकि वह कोई भी लॉ एंड आर्डर तोड़ नहीं रहे है और न ही यातायात बाधित कर रहे है तो फिर क्यों नहीं बैठ सकते है। उनका साफ़ कहना था कि लॉ में कही भी ऐसा प्रावधान नहीं है कि हम शांतिपूर्वक बैठ नहीं सकते है।  कुछ विश्लेषकों ने कहा कि प्रशांत किशोर कि पार्टी जनसुराज गाँधी जी संबधित है इसलिए वे गाँधी मैदान में गाँधी जी की विशाल मूर्ति के नीचे बैठे है जिससे पुरे भारत में सन्देश देना चाह रहे है कि वे गाँधी जी पदचिन्हो पर चल रहे है और दूसरी तरफ गर्दनीबाग इसलिए नहीं जा सकते थे क्योंकि बीपीएससी अभ्यर्थी पहले से ही गर्दनीबाग में बैठे है जो वहां पर आंदोलन कर रहे छात्र कभी भी नहीं चाहते कि प्रशांत किशोर की राजनीति के कारण उनका आंदोलन गलत दिशा में न चल जाये।

प्रशांत किशोर ने साफ़ तौर पर कहा कि पिछले बार मैंने पुलिस अधीक्षक को मिलकर कहा था मैं यहाँ से जा रहा हूँ लेकिन मेरे जाते ही पुलिस अधीक्षक ने माइक पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपका नेता भाग गया है और रात 2.30 बजे के आसपास जबरन छात्रों पर लाठी चार्ज करते हुए भगा दिया था इसलिए इस बार हम नहीं हटने वाले है।

हालाँकि दूसरी तरफ सरकार के प्रशासक और प्रशासन ने गाँधी मैदान में प्रशांत किशोर को गिरफ्तार करने के पीछे पटना हाईकोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया था जिसमे हाईकोर्ट ने राजधानी में अनशन और आंदोलन करने के लिए गर्दनीबाग का स्थान निर्धारित की गई है । उच्च न्यायालय ने गाँधी मैदान को किसी भी अनशन के लिए निषिद्ध स्थान निर्धारित किया है।

उच्च न्यायालय के इसी आदेश पर पटना पुलिस, प्रशासन और प्रशासक ने प्रशांत किशोर पर कार्रवाई की है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

अब बात ये है की जब गाँधी मैदान में FIR हुआ तो पुलिस इतने दिन हाथ पर हाथ रख कर क्यों बैठी थी, क्या उसे उच्च न्यायालय का आदेश की प्रति नहीं मिल रही थी या फिर ऊपर से आदेश का इंतजार था। इसमें दूसरा ज्यादा सही लग रहा है जो एक रणनीतिक फैसला था, पुलिसिया कार्रवाई सुबह 4 बजे ही होती है।

पटना पुलिस ने पटना सिविल कोर्ट में आज ही पुलिस गाडी में कोर्ट में पेश किया जहा पर निषिद्ध स्थान पर आमरण अनशन को लेकर 25 हजार के निजी मुचलके पर प्रशांत किशोर को जमानत दे दिया ।

                                           5 जनवरी 2025 के रात 8 बजे का वीडियो

 

 

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