सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव।

भारत के सांस्कृतिक विरासत स्थलों की कई उपायों से नियमित निगरानी रखी की जाती है और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सांस्कृतिक विरासत स्थलों के समय-समय पर वैज्ञानिक उपचार, निर्माण में प्रयुक्त सामग्री को मजबूत और स्थिर करने के लिए समेकन और संरक्षण संबंधी जलवायु अनुकूल समाधान अपनाता है।

इससे पहले, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संयुक्त सहयोग द्वारा कई ऐतिहासिक स्मारकों में स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) स्थापित किए हैं, ताकि हवा की गति और दिशा, वर्षा, वायुमंडलीय दबाव, तापमान आदि पर नजर रखकर जलवायु परिवर्तन से होने वाले किसी भी क्षति या क्षरण का पता लगाया जा सके। इसके अतिरिक्त आगरा स्थित ताजमहल और औरंगाबाद में अवस्थित बीबी का मकबरा में हवा के निलंबित कणिकीय पदार्थों जैसे प्रदूषकों की निगरानी के लिए वायु प्रदूषण प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं।

जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर सांस्कृतिक विरासत स्थलों के संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास और उनके क्रियान्वयन के लिए समय-समय पर अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ बैठक आयोजित की जाती हैं। हाल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा यूनेस्को के सहयोग से आयोजित सांस्कृतिक विरासत स्थलों के आपदा प्रबंधन पर एक अंतर्राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों ने भाग लिया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से जोखिम मूल्यांकन, जोखिम न्यूनीकरण उपायों, तैयारियों, आपातकालीन प्रतिक्रिया उपायों और आपदा के बाद पूर्व स्थिति बनाने की योजना से संबंधित सांस्कृतिक विरासत स्थलों और परिसरों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशानिर्देश  तैयार किए हैं।

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 6 फरवरी को राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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