Tag Archives: करुणा और परस्पर भाव “अभिशासन का पंचामृत” – उपराष्ट्रपति

सार्थक संवाद, व्यक्तिगत शुचिता, निस्वार्थ यज्ञ भाव, करुणा और परस्पर भाव “अभिशासन का पंचामृत” – उपराष्ट्रपति।

गीता का संदेश हर नागरिक के लिए मार्गदर्शल– उपराष्ट्रपति। साथी और सारथी की भूमिका कितनी निर्णायक है वह भारत ने दस वर्ष में देखा- उपराष्ट्रपति। राष्ट्र प्रेम आकलन की बात नहीं, यह शुद्ध और शत-प्रतिशत होना चाहिए- उपराष्ट्रपति धनखड़। विकसित भारत अब सपना नहीं, यह हमारा लक्ष्य है– उपराष्ट्रपति। . भारत की आवाज़ आज बुलंदी पर, हमने विकसित भारत का …

Read More »