ईडब्ल्यूएस और निम्न आय वर्ग को आवास सब्सिडी।

‘भूमि’ और ‘उपनिवेशीकरण’ राज्य के विषय हैं। इसलिए, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और निम्न-आय समूह (एलआईजी) से संबंधित अपने नागरिकों के लिए आवास से संबंधित योजनाएं राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। हालांकि, आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 25.06.2015 से प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत केंद्रीय सहायता प्रदान करके राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों की पूर्ति करता है। इसका उद्देश्य देश के सभी पात्र शहरी लाभार्थियों को बुनियादी नागरिक सुविधाओं के साथ हर मौसम के अनुकूल पक्के मकान उपलब्ध कराना है। यह योजना चार वर्टिकल यानी लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण (बीएलसी), साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी), इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर) और क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है। भारत सरकार आईएसएसआर के तहत 1.0 लाख रुपए पीएमएवाई-यू के एएचपी और बीएलसी वर्टिकल के लिए 1.5 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता के रूप में अपना निश्चित हिस्सा प्रदान कर रही है। सीएलएसएस वर्टिकल के तहत, ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और मध्यम आय समूह (एमआईजी) श्रेणी के लाभार्थियों के लिए प्रति घर 2.67 रुपए लाख तक की ब्याज सब्सिडी प्रदान की गई। डीपीआर के अनुसार घर की शेष लागत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी)/लाभार्थियों द्वारा साझा की जाती है। इस योजना को सीएलएसएस वर्टिकल को छोड़कर 31.12.2024 तक बढ़ा दिया गया है, ताकि फंडिंग पैटर्न और कार्यान्वयन पद्धति में बदलाव किए बिना सभी स्वीकृत घरों को पूरा किया जा सके।

योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि योजना के तहत निर्मित सभी घरों पर पीएमएवाई-शहरी लोगो और लाभार्थी का विवरण प्रदर्शित हो। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे योजना का नाम यथावत रखें और क्रियान्वयन तथा आईईसी गतिविधियों के दौरान इसमें किसी भी तरह का बदलाव न करें।

यह जानकारी आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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