मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना।

भारत मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) का एक पक्ष है और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, 2023 को 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि की बहाली के लिए देश की प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था, दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए पहल का उद्देश्य सतत भूमि प्रबंधन (एसएलएम) रणनीतियों पर अनुभव साझा करना और अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बनडाई आक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना है। यह योजना में भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए उपचारात्मक और निवारक मॉडल के वर्गीकरण के तहत सांकेतिक मॉडल और भूमि क्षरण के मुद्दों से निपटने के लिए नई पहलों के बारे में विवरण दर्शाती है।

मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, 2023 देश में सभी वनरोपण योजनाओं को एकीकृत करके देश में पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन पहलों की एक समन्वित, कुशल योजना और कार्यान्वयन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। इसका उद्देश्य विशिष्ट परिदृश्य में उपलब्ध वन और प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि एक प्रभावी योजना बनाई जा सके और प्रगतिशील और टिकाऊ पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन उपायों का समर्थन करने में सक्षम कमजोर और संभावित रूप से कमजोर स्थलों का व्यापक चयन किया जा सके। इस योजना में बंजर भूमि की बहाली के लिए विभिन्न योजनाओं के समावेश पर जोर दिया गया है और इसमें वित्तीय सहायता का कोई प्रावधान नहीं है।

यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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