सुशासन दिवस। जीवन को सशक्त बनाना, एक-एक बूँद।

मुस्कान नाम की एक छोटी लड़की ने खुशी से ताली बजाई क्योंकि उसके घर में नए नल से साफ पानी बह रहा था। यह दमहेड़ी गांव में उत्‍सव का पल था जहां नल के पानी ने लोगों के जीवन को इस तरह बदल दिया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसकी मां ने भावनाओं से अभिभूत होकर इस अवसर को मनाने के लिए एक छोटा सा अनुष्ठान किया क्योंकि वह जानती थी कि यह नल सिर्फ़ सुविधा से कहीं अधिक है। यह सम्मान, स्वास्थ्य और एक उज्जवल भविष्य का वादा था। मुस्कान के लिए इसका मतलब था कि वह अपनी मां को पानी के लिए परेशान किए बिना खेल सकती थी। उसकी मां के लिए, इसका मतलब था समय की बचत और अपने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में कम चिंता। घर में पानी का आना इस बात का प्रतीक है कि कैसे सुशासन लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।

यह परिवर्तन पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्‍म जयंती के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले सुशासन दिवस की भावना को दर्शाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि शासन केवल प्रशासन के बारे में नहीं है अपितु प्रत्येक नागरिक के जीवन को बेहतर बनाने के बारे में है। श्री वाजपेयी के नेतृत्व ने सुशासन के सिद्धांतों का उदाहरण प्रस्तुत किया, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और समावेशी विकास पर केंद्रित था।

इस दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार हर साल 19 से 25 दिसंबर तक सुशासन सप्ताह मनाती है जो पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। सप्ताह भर चलने वाले इस समारोह का उद्देश्य सुशासन की अवधारणा को जिलों से गांवों तक फैलाना है और यह सुनिश्चित करना है कि शासन पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह हो। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार शासन प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती है जो वास्तव में लोगों के जीवन को बेहतर बनाती है।

शासन, अपने मूल में, निर्णय लेने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि उन निर्णयों को इस तरह से लागू किया जाए जिससे समाज को लाभ हो। हालाँकि, सुशासन की अवधारणा भागीदारी, समानता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए और भी गहरी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुशासन की आठ प्रमुख विशेषताएँ हैं: यह सहभागी, सर्वसम्मति-उन्मुख, जवाबदेह, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी, न्यायसंगत और समावेशी हो, साथ ही यह कानून के शासन का पालन भी करता हो। यह व्यापक ढांचा सुनिश्चित करता है कि सबसे कमज़ोर लोगों की आवाज़ सुनी जाए और वर्तमान और भविष्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए निर्णय लिए जाएँ।

सुशासन का विचार भारतीय परंपरा में गहराई से समाया हुआ है। प्राचीन भारत में, राजा राजधर्म, शासन के नैतिक सिद्धांतों से बंधे होते थे। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य एक आदर्श शासक के गुणों के बारे में विस्तार से बताते हैं जिसमें न्याय, निष्पक्षता और लोगों के कल्याण पर ज़ोर दिया गया है। ये सदियों पुराने सिद्धांत आज भी हमें याद दिलाते हैं कि शासन को हमेशा ईमानदारी और करुणा के साथ सेवा करने का लक्ष्य रखना चाहिए। जल जीवन मिशन इन कालातीत मूल्यों की एक आधुनिक अभिव्यक्ति है जो दर्शाता है कि कैसे शासन, सामाजिक न्याय के साथ जुड़कर, समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों को ठोस लाभ पहुँचा सकता है।

2019 में, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन की घोषणा की थी तो स्थिति बहुत खराब थी। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 17% घरों में नल के पानी के कनेक्शन थे, जिससे 15 करोड़ से ज़्यादा परिवार पानी के लिए अन्‍य स्रोतों पर निर्भर थे। यह केवल एक असुविधा नहीं थी; यह एक दैनिक संघर्ष था, विशेषकर पानी की कमी वाले क्षेत्रों में। मिशन ने इस योजना के तहत 12 करोड़ से ज़्यादा नल के पानी के कनेक्शन दिए हैं जिससे 23 दिसंबर, 2024 तक देश भर में कुल 15.38 करोड़ घरों में नल के पानी के कनेक्शन हो गए हैं। यह सुनिश्चित करके कि कोई भी घर छूट न जाए, यह पहल लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गई।

पारदर्शिता और जवाबदेही जल जीवन मिशन की सफलता का अभिन्न अंग रही है। नल के पानी के कनेक्शन की प्रगति पर वास्तविक समय का डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है जिससे भरोसे का माहौल बनता है और यह सुनिश्चित होता है कि संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए। सामुदायिक बैठकें शिकायतों को दूर करने और काम की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए मंच प्रदान करती हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का यह पालन सुशासन की पहचान है जो नागरिकों को आश्वस्त करता है कि उनकी आवाज़ सुनी जाती है और उनकी आवश्‍यकताएं पूरी की जाती हैं।

जल जीवन मिशन का प्रभाव नल के पानी की तत्काल सुविधा से कहीं आगे तक है। महिलाओं के लिए इसका मतलब है पानी लाने में लगने वाले घंटों से मुक्ति जिससे उन्हें शिक्षा, आजीविका गतिविधियों या आराम के लिए समय मिल जाता है। बच्चों के लिए यह जलजनित बीमारियों को कम करके बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है और उन्हें शिक्षा और खेल पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है। ये सुधार दर्शाते हैं कि कैसे सुशासन मानव जीवन के परस्पर जुड़ी समस्‍याओं का समाधान करता है। अलग-अलग समाधान देने के बजाय पूरे समुदायों का उत्थान करता है।

समानता और समावेशिता का सिद्धांत मिशन के मूल में है। आदिवासी क्षेत्रों और वंचित समुदायों में जहाँ स्वच्छ जल तक पहुँच कभी दूर का सपना हुआ करता था, जल जीवन मिशन सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। स्वच्छ जल तक पहुँच जैसे बुनियादी मुद्दे को प्राथमिकता देकर, सरकार ने सशक्तिकरण और समानता के साधन के रूप में शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह पहल इस बात का उदाहरण है कि कैसे सुशासन के सिद्धांतों में निहित नेतृत्व परिवर्तनकारी बदलाव को प्रेरित कर सकता है।

जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार के प्रयास जल जीवन मिशन तक सीमित नहीं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं, आबादी की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। किफायती आवास और वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने से लेकर स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने तक ये पहल दर्शाती हैं कि कैसे सुशासन समावेशी विकास के लिए रास्ते बनाता है।

मुस्कान की हंसी उसके घर में गूंजती है यह याद दिलाती है कि सुशासन क्या प्राप्‍त कर सकता है। यह बॉक्स पर टिक करने या न्यूनतम दायित्वों को पूरा करने के बारे में नहीं है, बल्कि हर नागरिक के जीवन को बेहतर बनाने के बारे में है। इस सुशासन दिवस पर, जल जीवन मिशन शासन का एक शानदार उदाहरण है जो सुनता है, प्रतिक्रिया देता है और उत्थान करता है। यह आशा, प्रगति और सभी के लिए सम्मान के वादे की कहानी है, जो राजधर्म के शाश्वत आदर्शों और समावेशी विकास के दृष्टिकोण से मेल खाती है।

संदर्भ:

  1. https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2021/sep/Jal%20Jeevan%20Eng.pdf
  2. https://www.unescap.org/sites/default/files/good-governance.pdf
  3. https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx

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